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यू.के. प्रौद्योगिकी(UK TECHNOLOGY)
सूर्य की शक्ति हमें आदिकाल से आकर्षित करती रही है, क्योंकि यह प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और हमें जीवाश्म ईंधन का एक अच्छा विकल्प देती है। जब मनुष्य ने आग जलाना नहीं सीखा था, तब भी सूर्य की किरणों से मिलने वाले ताप से वह चमत्कृत हो उठता था। इसीलिए हमारे मिथकों में सूर्य को सबसे प्रभावशाली देवता के रूप में चित्रित किया गया है।

भारत को सौर ऊर्जा का भरपूर वरदान मिला हुआ है। अगर इसका कुशलतापूर्वक इस्तेमाल किया जाए, तो देश हजारों किलोवॉट बिजली का उत्पादन कर सकता है। सौर ऊर्जा बहुत फायदेमंद है, क्योंकि यह प्रदूषण नहीं फैलाती और इसका वितरण आसानी से किया जा सकता है। और सबसे बड़ी बात यह है कि इसके लिए कहीं एक जगह बहुत बड़ा केंद्रीय प्लांट लगाने की जरूरत नहीं है। इसे बेहद आसानी से कई जगहों से, कई छोटी-छोटी यूनिटों से बनाया और बांटा जा सकता है। इससे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करके जलवायु परिवर्तन से भी निपटा जा सकता है। इसका अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए हमें मिलकर अपने लिए सुविधाजनक तकनीक विकसित करनी होगी।

एक अनुमान है कि पृथ्वी प्रतिवर्ष लगभग 1, 20,000 टेरावॉट (सौर ऊर्जा की मात्रा को मापने वाली इकाई) सौर ऊर्जा प्राप्त करती है। और फिलहाल पूरी दुनिया की ऊर्जा खपत सिर्फ 15 टेरावॉट सालाना है। जाहिर है, इस सौर ऊर्जा से हम अपनी जरूरतें बहुत आसानी से पूरी कर सकते हैं। साथ ही भविष्य की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए भी इस अक्षय स्त्रोत पर भरोसा किया जा सकता है। वास्तव में, सौर ऊर्जा ही हमारा वह सबसे बड़ा संसाधन है जिसका उपयोग ऊर्जा की हर जरूरत को पूरा सकता है। यहां एक साल में मनुष्य द्वारा ऊर्जा की जो कुल खपत होती है, उतनी सौर ऊर्जा सिर्फ एक दिन में ही धरती पर पहुंच जाती है। सौर ऊर्जा का इस्तेमाल अब इसलिए भी जरूरी होता जा रहा है क्योंकि जीवाश्म ईंधन के तमाम भंडार तेजी से घट रहे हैं और ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव बढ़ रहा है। साथ ही निकट भविष्य में हमें बिजली क्षेत्र से होने वाले कार्बन उत्सर्जन की सीमा भी कम करनी है।

भारत में साल के 365 दिनों में तकरीबन 250 से 325 दिन अच्छी धूप वाले होते हैं। इन दिनों में सोलर रेडिएशन की तीव्रता काफी ज्यादा होती है। अगर इनका समुचित दोहन किया जाए तो हम अपनी आवश्यकता के अनुरूप सोलर एनर्जी प्राप्त कर सकते हैं। पर इसके लिए हमें सबसे पहले तो मानसिक तौर पर तैयार होना होगा। फिर अपेक्षित तकनीकी संयंत्र लगाने होंगे। जाहिर है, इसके लिए काफी निवेश भी करना होगा।

भारत में सौर ऊर्जा प्राप्त करने लायक दुनिया के कुल भूमि क्षेत्र का 58 फीसदी भाग पाया जाता है। इस मौजूदा स्तर को देखते हुए केवल एक फीसदी भूमि क्षेत्र ही 2031 तक की देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी है। लेकिन इस क्षेत्र में जितना काम होना चाहिए था, वह नहीं हो सका है। आज भी हम ऊर्जा के लिए मुख्यत: थर्मल पावर पर आश्रित हैं जबकि हमारे पास कोयले का पर्याप्त भंडार भी नहीं है। हमारे देश में राजस्थान सालाना सबसे अधिक सोलर रेडिएशन प्राप्त करता है। यहां लगभग पूरे साल मिलने वाला भरपूर सोलर रेडिएशन और अनुकूल शर्तें राज्य को ग्रीन एनर्जी का हब बनाने की क्षमता रखती हैं। यह सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा प्रोवाइडर बन सकता है। इससे न सिर्फ राज्य की आर्थिक स्थिति बदल सकती है, बल्कि पूरे देश को फायदा पहुंच सकता है। गुजरात में भी इस दिशा में कार्य शुरू हो गया है।

ऋषिकेश उत्तराखंड

मनोज रावत